गणेश चालीसा Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi-Anuradha Paudwal(Chalisa Sangrah)

गणेश चालीसा Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi-Anuradha Paudwal(Chalisa Sangrah)

Ganesh Chalisa Song Details

📌 Song Title Ganesh Chalisa
🎞️ Album Chalisa Sangrah
🎤 Singer Anuradha Paudwal
✍️Lyrics Traditional
🎼 Music Shekhar Sen
🏷️Music Label T-Series Bhakti Sagar
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Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi

॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू ।
मंगल भरण करण शुभः काजू ॥

जै गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥

राजत मणि मुक्तन उर माला ।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥

ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।
अति शुची पावन मंगलकारी ॥

एक समय गिरिराज कुमारी ।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥

अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।
बिना गर्भ धारण यहि काला ॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।
पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥

अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।
पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा ।
देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।
बालक, देखन चाहत नाहीं ॥

गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥

कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥

नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥

गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥

हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।
काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो ।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥

चले षडानन, भरमि भुलाई ।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥

धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहसमुख सके न गाई ॥

मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥

अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥

॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा,
पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै,
लहे जगत सन्मान ॥

सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,
ऋषि पंचमी दिनेश ।
पूरण चालीसा भयो,
मंगल मूर्ती गणेश ॥

Ganesh Chalisa Lyrics in Englsih

॥ Doha ॥
Jai Ganpati Sadgun Sadan,
Kavivar Badan Kripal ॥
Vighn Haran Mangal Karan,
Jai Jai Girijalal ॥
॥ Chaupai ॥
Jai Jai Jai Ganpati Ganraju ।
Mangal Bharan Karan Shubhah Kaju ॥

Jai Gajabadan Sadan Sukhdata ।
Vishwa Vinayaka Buddhi Vidhata ॥

Vakra Tunda Shuchi Shund Suhawana ।
Tilak Tripund Bhal Man Bhavan ॥

Rajat Mani Muktan Ur Mala ।
Svarn Mukut Shir Nayan Vishala ॥

Pustak Pani Kuthar Trishoolan ।
Modak Bhog Sugandhit Phoolan ॥

Sundar Pitambar Tan Sajit ।
Charan Paduka Muni Man Rajit ॥

Dhani Shiv Suvan Shadanan Bhrata ।
Gauri Lalan Vishv-vikhyata ॥

Rddhi-siddhi Tav Chanvar Sudhare ।
Mushak Vahan Sohat Dvare ॥

Kahau Janm Shubh Katha Tumhari ।
Ati Shuchi Pavan Mangalakari ॥

Ek Samay Giriraj Kumari ।
Putr Hetu Tap Kinha Bhari ॥ 10 ॥

Bhayo Yagy Jab Poorn Anoopa ।
Tab Pahunchyo Tum Dhari Dwij Roopa ॥

Atithi Jani Ke Gauri Sukhari ।
Bahuvidhi Seva Kari Tumhari ॥

Ati Prasann Havai Tum Var Dinha ।
Matu Putr Hit Jo Tap Kinha ॥

Milahi Putr Tuhi, Buddhi Vishala ।
Bina Garbh Dharan Yahi Kala ॥

Gananayak Gun Gyan Nidhana ।
Poojit Pratham Roop Bhagwan ॥

As Kahi Antardhan Roop Havai ।
Palana Par Balak Svaroop Havai ॥

Bani Shishu Rudan Jabahin Tum Thana ।
Lakhi Mukh Sukh Nahin Gauri Samana ॥

Sakal Magan, Sukhamangal Gavahin ।
Nabh Te Suran, Suman Varshwahin ॥

Shambhu, Uma, Bahudan Lutavahin ।
Sur Munijan, Sut Dekhan Awahin ॥

Lakhi Ati Anand Mangal Saja ।
Dekhan Bhi Aye Shani Raja ॥ 20 ॥

Nij Avgun Guni Shani Man Mahin ।
Balak, Dekhan Chahat Nahin ॥

Girija Kachhu Man Bhed Badhayo ।
Utsav Mor, Na Shani Tuhi Bhayo ॥

Kahat Lage Shani, Man Sakuchai ।
Ka Karihau, Shishu Mohi Dikhai ॥

Nahin Vishwas, Uma Ur Bhayoo ।
Shani Son Balak Dekhan Kahayoo ॥

Padtahin Shani Drg Kon Prakasha ।
Balak Sir Udi Gayo Akasha ॥

Girija Giri Vikal Havai Dharani ।
So Duhkh Dasha Gayo Nahin Varani ॥

Hahakar Machyau Kailash ।
Shani Kinhon Lakhi Sut Ko Nasha ॥

Turat Garud Chadhi Vishnu Sidhayo ।
Kati Chakr So Gaj Sir Laye ॥

Balak Ke Dhad Oopar Dharayo ।
Pran Mantr Padhi Shankar Darayo ॥

Nam Ganesh Shambhu Tab Kinhe ।
Pratham Poojy Buddhi Nidhi, Var Dinhe ॥ 30 ॥

Buddhi Pariksha Jab Shiv Kinha ।
Prthvi Kar Pradakshina Linha ॥

Chale Shadanan, Bharami Bhulai ।
Rache Baith Tum Buddhi Upai ॥

Charan Matu-pitu Ke Dhar Linhen ।
Tinake Sat Pradakshin Kinhen ॥

Dhani Ganesh Kahi Shiv Hiye Harashe ।
Nabh Te Suran Suman Bahu Barase ॥

Tumhari Mahima Buddhi Badai ।
Shesh Sahasamukh Sake Na Gai ॥

Main Matihin Malin Dukhari ।
Karahoon Kaun Vidhi Vinay Tumhari ॥

Bhajat Ramasundar Prabhudasa ।
Jag Prayag, Kakara, Durvasa ॥

Ab Prabhu Daya Dina Par Kijai ।
Apani Shakti Bhakti Kuchh Dijai ॥ 38 ॥

॥ Doha ॥
Shri Ganesh Yah Chalisa,
Path Karai Kar Dhyan ।
Nit Nav Mangal Grh Basai,
Lahe Jagat Sanman ॥

Sambandh Apane Sahastr Dash,
Rishi Panchami Dinesh ।
Pooran Chalisa Bhayo,
Mangal Murti Ganesh ॥

राम चालीसा Ram Chalisa Lyrics

Ram Chalisa Song Details

📌 Song Title Ram Chalisa
✍️ Lyrics Shekhar Sen
🏷️ Music Lable T-Series

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 दोहा ॥
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनंवैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं
बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं

॥ चौपाई ॥

श्री रघुबीर भक्त हितकारी ।सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।ता सम भक्त और नहिं होई ॥
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं ।ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं ॥
जय जय जय रघुनाथ कृपाला ।सदा करो सन्तन प्रतिपाला ॥

दूत तुम्हार वीर हनुमाना ।जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना ॥

तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला ।रावण मारि सुरन प्रतिपाला ॥

तुम अनाथ के नाथ गोसाईं ।दीनन के हो सदा सहाई ॥

ब्रह्मादिक तव पार न पावैं ।सदा ईश तुम्हरो यश गावैं ॥

चारिउ वेद भरत हैं साखी ।तुम भक्तन की लज्जा राखी ॥

गुण गावत शारद मन माहीं ।सुरपति ताको पार न पाहीं ॥

नाम तुम्हार लेत जो कोई ।ता सम धन्य और नहिं होई ॥राम नाम है अपरम्पारा ।चारिहु वेदन जाहि पुकारा ॥

गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों ।तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों ॥

शेष रटत नित नाम तुम्हारा ।महि को भार शीश पर धारा ॥

फूल समान रहत सो भारा ।पावत कोउ न तुम्हरो पारा ॥

भरत नाम तुम्हरो उर धारो ।तासों कबहुँ न रण में हारो ॥

नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा ।सुमिरत होत शत्रु कर नाशा ॥

लषन तुम्हारे आज्ञाकारी ।सदा करत सन्तन रखवारी ॥

ताते रण जीते नहिं कोई ।युद्ध जुरे यमहूँ किन होई ॥

महा लक्ष्मी धर अवतारा ।सब विधि करत पाप को छारा ॥

सीता राम पुनीता गायो ।भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो ॥

घट सों प्रकट भई सो आई ।जाको देखत चन्द्र लजाई ॥

सो तुमरे नित पांव पलोटत ।नवो निद्धि चरणन में लोटत ॥

सिद्धि अठारह मंगल कारी ।सो तुम पर जावै बलिहारी ॥

औरहु जो अनेक प्रभुताई ।सो सीतापति तुमहिं बनाई ॥

इच्छा ते कोटिन संसारा ।रचत न लागत पल की बारा ॥

जो तुम्हरे चरनन चित लावै ।ताको मुक्ति अवसि हो जावै ॥

सुनहु राम तुम तात हमारे ।तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे ॥

तुमहिं देव कुल देव हमारे ।तुम गुरु देव प्राण के प्यारे ॥

जो कुछ हो सो तुमहीं राजा ।जय जय जय प्रभु राखो लाजा ॥

रामा आत्मा पोषण हारे ।जय जय जय दशरथ के प्यारे ॥

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा ।निगुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ॥

सत्य सत्य जय सत्य- ब्रत स्वामी ।सत्य सनातन अन्तर्यामी ॥

सत्य भजन तुम्हरो जो गावै ।सो निश्चय चारों फल पावै ॥

सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं ।तुमने भक्तहिं सब सिद्धि दीन्हीं ॥

ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा ।नमो नमो जय जापति भूपा ॥

धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा ।नाम तुम्हार हरत संतापा ॥

सत्य शुद्ध देवन मुख गाया ।बजी दुन्दुभी शंख बजाया ॥

सत्य सत्य तुम सत्य सनातन ।तुमहीं हो हमरे तन मन धन ॥

याको पाठ करे जो कोई ।ज्ञान प्रकट ताके उर होई ॥

आवागमन मिटै तिहि केरा ।सत्य वचन माने शिव मेरा ॥और आस मन में जो ल्यावै ।तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै ॥

साग पत्र सो भोग लगावै ।सो नर सकल सिद्धता पावै ॥

अन्त समय रघुबर पुर जाई ।जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ॥

श्री हरि दास कहै अरु गावै ।सो वैकुण्ठ धाम को पावै ॥

॥ दोहा ॥

सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाये ।हरि दास हरिकृपा से, अवसि भक्ति को पाय ॥
राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चिट लाय ।जो इच्छा मन मे करै, सकल सिद्ध हो जाये ॥

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